भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पद 57 से 70 तक/पृष्ठ 8
Kavita Kosh से
64
राग टोड़ी
बूझत जनक नाथ, ढोटा दोउ काके हैं ?
तरुन तमाल चारु चम्पक-बरन तनु
कौन बड़े भागीके सुकृत परिपाके हैं ||
सुखके निधान पाये, हियके पिधान लाये,
ठगके-से लाडू खाये, प्रेम-मधु छाके हैं |
स्वारथ-रहित परमारथी कहावत हैं,
भे सनेह-बिबस बिदेहता बिबाके हैं ||
सील-सुधाके अगार, सुखमाके पारावार,
पावत न पैरि पार पैरि पैरि थाके हैं |
लोचन ललकि लागे, मन अति अनुरागे,
एक रसरुप चित सकल सभाके हैं ||
जिय जिय जोरत सगाई राम लखनसों
आपने आपने भाय जैसे भाय जाके हैं |
प्रीतिको, प्रतीतिको, सुमिरिबेको, सेइबेको,
सरनको समरथ तुलसिहु ताके हैं ||