भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पद 57 से 70 तक /पृष्ठ 9

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

65
ए कौन कहाँतें आए ?
नील-पीत पाथोज-बरन, मन-हरन, सुभाय सुहाए ||

मुनि सुत किधौं भूप-बालक, किधौं ब्रह्म-जीव जग जाए |
रुप जलधिके रतन, सुछबि-तिय-लोचन ललित ललाए ||

किधौं रबि-सुवन, मदन-ऋतुपति, किधौं हरि-हर बेष बनाए |
किधौं आपने सुकृत-सुरतरुके सुफल रावरेहि पाए ||

भए बिदेह बिदेह नेहबस देहदसा बिसराए |
पुलक गात, न समात हरष हिय, सलिल सुलोचन छाए ||

जनक-बचन मृदु मञ्जु मधु-भरे भगति कौसिकहि भाए |
तुलसी अति आनन्द उमगि उर राम लषन गुन गाए ||