मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
परबत पहाड़सँ अयलइ एक ब्राह्मण
यो अहाँ ब्राह्मण बाबू
चलि भेला गंगा स्नान
यो अहाँ ब्राह्मण बाबू
माय हुनक रोकनि, बाबू परबोधनि
यो अहाँ ब्राह्मण बाबू
हंटलो ने मानथि ब्राह्मण डंटलो ने मानथि
यो अहाँ ब्राह्मण बाबू
चलि भेला गंगा स्नान
यो अहाँ ब्राह्मण बाबू
नहाय सोनाय ब्राह्मण भीड़ चढ़ि बैसला
यो अहाँ ब्राह्मण बाबू
ताकय लगला सेवक केर बाट
यो अहाँ ब्राह्मण बाबू