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परिवर्तन / शशि सहगल
Kavita Kosh से
चारों ओर फैल गया है विद्रोह
कहीं भी सुरक्षित नहीं हम
घबराहट में
भागती हूँ
खैरगाह की ओर
पर बड़ी देर कर दी मैंने
यहाँ पहुँचने से पहले
खैरगाह
खूनगाह में बदल चुकी थी।