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पर्यावरण / मधुसूदन साहा
Kavita Kosh से
स्वच्छ रखना तन-बदन को,
धूल से धरती-गगन को
तुम बचाना गंदगी से
हर घड़ी पर्यावरण को।
शुद्ध सब वातावरण हो,
शांतिमय हर आचरण हो,
कुछ करो ऐसा कि हरदम
प्राणमय पर्यावरण हो।
स्वच्छ थल हो, शुद्ध पानी,
वायु भी हो जाफरानी,
शुद्ध सारी चीज हो तो
जिंदगी होती सुहानी।
शुद्धता जीवन हमारा,
शुद्ध हो हर क्षण हमारा,
हो हमेशा शुद्धता ही
प्राणमन से प्रण हमारा।
जंगलों में ज़िन्दगी है,
शुद्ध पानी की नदी है,
नष्ट मत होने दो
वक्र्त की यह बंदगी है।