पल पल जीवन बीता जाए
निर्मित मन के रे उपवन में
कोई कोयल गाये रे!
सुख के दुख के पंख लगाये
कोई कोयल गाये रे!
कहीं खिली है मधुर कामिनी
कहीं अधखिली चमेली भान बुलाए
कहीं दूब है हरी हरी कहीं भँवरा मँड़राये रे!
पल पल जीवन बीता जाए
निर्मित मन के रे उपवन में
कोई कोयल गाये रे!
सुख के दुख के पंख लगाये
कोई कोयल गाये रे!
कहीं खिली है मधुर कामिनी
कहीं अधखिली चमेली भान बुलाए
कहीं दूब है हरी हरी कहीं भँवरा मँड़राये रे!