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पसेना के मोल / मथुरा प्रसाद 'नवीन'
Kavita Kosh से
के सकऽ हो तोल,
तोहर पसेना के मोल?
की करतो भूत अउ प्रेत,
आदमिये देतो
तोहर गियारी रेत
ई ले
आदमी के
आदमी से सम्पर्क
कुछ सुझाव
कुछ तर्क
न कहीं ऊबर हइ
न कहीं खाबर हइ,
न कोय छोट अउ बड़
सब बराबर हइ
न कोय लोहारा
न कोय सोनारा,
आपस में
काम के बँटबारा
तोर काम
तोरे से इलोत रहलो हे,
इहे वजह हो कि
बड़का के बेटा
कुरसी पर हो
तोहर बेटा
खेत जोत रहलो हे
बड़का के बेटा
बांध लेलको हे
अपन बाप के फेंटा
बाप जेकर मंत्री हो
बेटा षडयंत्री हो
बाप जहाज पर उड़ऽ हइ
बेटा कार पर घूरऽ हइ