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पहला और दूसरा व्यक्ति / शिवप्रसाद जोशी
Kavita Kosh से
पहले व्यक्ति के बाद आती है
उसकी बारी
पहला व्यक्ति हमेशा पहले आता है
उसके फौरन बाद नहीं आता दूसरा व्यक्ति
वह आता है बहुत दूर से
जो पहली चीज़ आती है
पहले व्यक्ति के पास जाती है
कोई ज़रूरी नहीं हर दूसरी चीज़
दूसरे व्यक्ति को मिल जाए
पहले व्यक्ति के संतुष्ट होने तक
दूसरा रूकता है
या लौट जाता है
पहला व्यक्ति लपकता हुआ
दूसरे के घर जाता है
नमस्कार करता है
दूसरा व्यक्ति मुश्किल में पड़ जाता है
इस तरह यह समाज चलता है।