भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पांसा / धनेश कोठारी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1

रावण धरदा बनि-बनि रुप

राम गयां छन भैर

चुरेड चुडी पैरौणान सीता

देळी मु बैठीं डौर

2

अफ्वीं बुलौंदी दुशासनुं द्रौपदा

कृष्ण क्य करू अफसोस

चौसर चौखाना दुर्योधनूं का

सेळ्यूं च पांड्वी जोश

3

टाटपट्टी मा एकलव्य बैठ्यांन

द्रोण मास्साब कि जग्वाळ

अर्जुन जाणान ईंग्लिश मीडियम

वाह रे ज्ञान कि खोज

4

येक टांग मा खडा भस्मासुर

शिवजी लुक्यां कविलासुं

मोहनी मंथ्यणि रैंप मा हिट्णीं

शकुनि खेन्ना छन पासों