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पाई खुदा के घर की कीनैं? / ईसुरी
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
पाई खुदा के घर की कीनैं?
की खाँ मरनै जीनैं?
बिघ ललाट के अच्छर ऐसे,
लिखे ना काऊ चीनैं।
एकन खाँ धन वान करत हैं,
एकन को धन छीनैं।
ईसुर ऐसे कलम करत है
अल्ला ख्याल नवीनैं।