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पागल हुआ रमोली / रामकिशोर दाहिया
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					राजकुँवर की 
ओछी हरकत
सहती जनता भोली
बेटी का
सदमा ले बैठा
पागल हुआ 'रमोली' 
देह गठीली
सुंदर आँखें
दोष यही 'अघनी' का
खाना-खर्चा
पाकर खुश है 
भाई भी मँगनी का 
लीला जहर 
मरेगी 'फगुनी'
उठना घर से डोली 
संरक्षण में 
चोर-उचक्के
अपराधी घर सोयें
काला-पीला
अधिकारी कर
हींसा दे खुश होयें 
धंधे सभी
अवैध चलाते
कटनी से सिंगरौली 
जेबों में 
कानून डालकर
प्रजातंत्र को नोचें
करिया अक्षर 
भैंस बराबर
दादा कुछ ना सोचें 
बोलो! खुआ 
लगाकर दागें 
घर में घुसकर गोली 
	
	