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पाळो न्यारो-न्यारो / निशान्त
Kavita Kosh से
रठ मांय
दिनूगै पैली बस मांय चढयो
तो कइयां
जुराब ठठा राखी ही
कई इंयां ई बैठया हा
म्हैं सोचै हो -
जाडै चामड़ै रा बूंट खरीदल्यूं
पण
सांमी बैठयो ’बो‘
चप्पल मांय ई हो ।