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पिद्दी उठलै / जटाधर दुबे
Kavita Kosh से
खैरनार नरपुंगव बनलै, पवार 'पावर'
ठंढा भेलै।
भ्रष्ट व्यवस्था, निठुर माफ़िया रोॅ विरोध में
पिद्दी उठलै।
मदांध शासन केॅ आंधी में एक दीप रोॅ
साहस देखोॅ।
जलोॅ जलोॅ हे दीप, स्नेह रोॅ धार
देश केॅ जनता बनतै।
शेषनाग ने पूर्ण धरा रोॅ भार उठैने छेलै
फनोॅ पर,
भ्रष्ट चुनावी तंत्र सुधारै के भार आय ऐलै
शेषण पर।
राजनीति सत्ता रोॅ खाय छै
भ्रष्टाचार-कुकुरमुत्ता के,
अडिग रहोॅ हे राष्ट्रवीर, तोहरे अधिकार
भेल्हौं जन-मन पर।
भ्रष्टाचारी रोॅ रक्षा लेॅ खुलेआम
सड़कोॅ पर शासन,
खून पसीना जनता रोॅ
पर 'ए.सी.' में शासन के आसन।
भोंड़ापन नंगापन देखोॅ,
बहुमत केॅ व्यभिचार उरेखोॅ,
जे जनता चाहै छै ओकरा
ताकत सेॅ इनकारै शासन।