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पिया जेठोॅ के ताव / ऋतुरंग / अमरेन्द्र

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पिया जेठोॅ के ताव।
बढ़लोॅ जाय दिने दिन सूदे के भाव
पिया जेठोॅ के ताव।

सारा जरैलोॅ सन धरती छै तपलोॅ
बेरथ होलै अगहन के जाप जपलोॅ
रौदें लगैलेॅ छै सब्भे ठो दाव
पिया जेठोॅ के ताव।

भुइयाँ कुम्हारोॅ के आवा रङ भेलै
सूरज बै आवा में घैलोॅ सन होलै
हमरोॅ देह होलोॅ छेॅ धूनी-अलाव
पिया जेठोॅ के ताव।

कत्तेॅ दूर आरो छै सौनोॅ रोॅ गद्दी
बनी गेलै करधनो धीरज के बद्धी
आरो खलियैलोॅ जाय खलियैलोॅ घाव
पिया जेठोॅ के ताव।