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पिया तेरे बिना कैसे जिया जाये / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
बिना तेरे पिया कैसे जिया जाये।
जहर यह ज़िन्दगानी का पिया जाये॥
भरे हैं अश्रु अब भी भीगी आँखों में
इन्हें फिर जख़्म कोई क्यों दिया जाये॥
घने बादल घिरे आकाश में देखो
अगर जायें बरस तो क्यों 'पिया' जाये॥
को' ई मजबूर हो क्यों आह भरने को
न कोई काम अब ऐसा किया जाये॥
अगर सामर्थ्य दे भगवान हाथों में
न ग़म क्यों बाँट औरों का लिया जाये॥