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पिया पावस फुहार / ऋतुरंग / अमरेन्द्र
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पिया पावस फुहार
सरंगोॅ के गल्लां जों गिरमल के हार
पिया पावस फुहार
मोती आ माणिक के बुन्नी छै हारोॅ में
चानी के पानी चढ़ैलोॅ छै तारोॅ में
भुइयां पर छिरयावै टुटत्हैं ही तार
पिया पावस फुहार
उपटै छै ऐंगना में देहरी पर मोती
मोॅन करै राखी लौं सबटा हँसोती
केनाकेॅ करवै पर एकरोॅ सम्हार
पिया पावस फुहार
छपरी पर मोती छै सरंगोॅ में जोति
सच्चे में गिरमल के मोती तेॅ मोती
लदबद छै धरती लै मोती के भार
पिया पावस फुहार
भींगै छी कमर भरी घोॅर होलै कादोॅ
बाकी छै सौन अभी बाकी छै भादोॅ
पहले ही पानी के है रङ झुमार
पिया पावस फुहार
-11.9.95