पिया फूल डुमरी के / परमानंद ‘प्रेमी’
सखि हे पियबा भेलै फूल डुमरी के गौना करिये के गेलै ना॥
घर पिछवाड़ी मुन्सी के डेरा
गेलों लिखाबैल’ चिठिया।
नैं कागज कलमियाँ बेचारा क’
केना क’ लिखतिये पतिया॥
गौना करिये क’ गेलै ना सखि हे पियबा भेलै फूल डुमरी के॥
अचरा फाड़ि कगजबा बनैलों
औंगरी काटी कलमियाँ।
औंठी-पौंठी कुशल लिखबैलों
आपनों नाम बीचै ठियाँ॥
गौना करिये क’ गेलै ना सखि हे पियबा भेलै फूल डुमरी के॥
सेहो चिठिया दे लौवा सें कहलों
दीहै नैं सभ्भै के समना।
लौवां हमरा सें तब’ पूछलकऽ
पिया के छेखौं की चिन्हमां॥
गौना करिये क’ गेलै ना सखि हे पियबा भेलै फूल डुमरी के॥
हरिहर धोतिया पियाजी क’ शोभै
देहऽ में उजरऽ अंगा।
माथा पे पगड़ी केशरिया शोभै
लागै छै उड़ै तिरंगा॥
गौना करिये क’ गेलै ना सखि हे पियबा भेलै फूल डुमरी के॥
कहै ‘प्रेमी’ सुनऽ बेदर्दी
मिलथैं चिट्टी जा घरबा।
जों लछमी के धीरज टुटल्हौं
मरथौं डूबी पोखरबा॥
गौना करिये क’ गेलै ना सखि हे पियबा भेलै फूल डुमरी के॥