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पिया से कहबै / खुशीलाल मंजर

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पिया सें कहवै हम्मू आय
नै गछबै हुनकऽ साय
जबेॅ सें ऐलाँ तोरा घरऽ में
कहियो नै दैखलाँ नजरी सुख
हरदम जी तेॅ छटपट करेॅ
दुखऽ पर छे लागले दुख
घरें बहारें कोय नैं बूझेॅ
तहूँ देखाय छेॅ हरदम सान
कत्तेॅ सहबै सब रऽ भिंसाड़ी
जीते जिनगी देबै परान
भाय भौजाय छऽ हमरऽ नैहराँ
कथीलेॅ होतऽ है रं बिवाद
जब तांय रहलाँ बाबू घरऽ मैं
कहियो नै देखलॉ मार फसाद
की जानौं की भूल चूक करलाँ
देवता देहरीं आय छी छछआय
पिया सें कहबै हम्मू आय

है सौख हमरा रहिये गेलऽ
हँसी हँसी करिय तोरा सें बात
दिनऽ राती हरदम कचकच
उठतें बैठतें होय छऽ कभात
चुपचाप रहऽ हमरा सामनां
कीं मरदौटी झाड़ै छऽ
आभियो तक ने बात दुहरैलिहौं
तहियो बाढ़नी झांटै छऽ
आबेॅ नैं सहबौं जे कुछ हअेॅ
है हिसखऽ तेॅ देबै छोड़ाय
पिया सें कहबै हम्मू आय
नैं गछबै हनकऽ साम