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पीठ कोरे पिता-10 / पीयूष दईया
Kavita Kosh से
जानता था मैं एक दिन
रोक नहीं सकूंगा और
गूंगी चीख़ से सना रह जाऊंगा
सदा के लिए
.--मर जाओगे
फूल-सा--
मासूम दिल लिये अपना
एक दिन
जानता था मैं
दिल से
मर जाएंगे आप