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पीठ कोरे पिता-19 / पीयूष दईया

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मां शब्दों में विश्वास करती हैं
पर उन्हें नहीं आते
खाली हाथ

भला क्या साबित कर सकते हैं?
आये हैं बन्द मुट्ठी जाएंगे खुले
ख़ाली

घर छोड़ते
हम सब के/को लिये