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पूंख / मीठेश निर्मोही
Kavita Kosh से
फुरर फुर
उड
चहकी
चिड़कल
चुग्गौ भर
ले आई
चूंच।
तिणकै-तिणकै
हरखायौ
माळौ।
माळै चढ
किलकायौ
टाबर
पाकग्या है
खेतां
पूंख।