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पूछो किसी कवि से / सुनीता जैन
Kavita Kosh से
जो गाता है
वह कितनी
आग दबाता,
पूछो किसी कवि से
यह रस,
यह बिम्बों का क्रम
यह लय,
यह गति शब्दों की
यह रह-रह अर्थों की
जब-तब बजती
चुटकी,
आते कहाँ-कहाँ से,
पूछा किसी कवि से
तुम सुनते,
सुन, छत्तीस कोस तक
डूब कहीं, कहीं जा
उतराते
वह खड़ा किनारे
क्या करता है,
पूछो किसी कवि से