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पूरे एक दिन और / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
सुबह से पहले
चाँद
टहलता है
मेरे साथ -साथ
और जाते -जाते
बरसा देता है
मुझ पर
अमृत की
कुछ बूँदें
ताकि जी सकूँ मैं
पूरे एक दिन और।