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पेंटिंग / इमरोज़ / हरकीरत हकीर

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ज़िन्दगी की पेंटिग
पता नहीं कब की बनती
आ रही है
पर अभी तक पूरी नहीं हुई
नए-नए हाथों के साथ
नए रंगों के साथ
यह पेंटिंग बन रही है
बनती जा रही है
न कभी ज़िन्दगी ने पूरा होना है
और न ही ज़िन्दगी की पेंटिंग ने
पूरा होना है
बनती रहना ही
इसका पूरा होना है- जीते रहना है
मुहब्बत की तरह...