पौरुष प्रचण्ड हो / बाबा बैद्यनाथ झा
जीवन के झंझावातों से,
डरो नहीं तुम मीत।
हो प्रचण्ड पौरुष बल जिसका,
उसकी होती जीत॥
थोड़ा-सा योगासन कर लो,
थोड़ा प्राणायाम।
साहस उद्यम का सम्बल हो,
बने सहायक राम।
कार्य कभी प्रारम्भ करो तो,
कर लो पूर्व विचार।
अपनी भी सामर्थ्य देखकर,
होना है तैयार।
आने पर व्यवधान कभी भी,
मत होना भयभीत।
हो प्रचण्ड पौरुष बल जिसका,
उसकी होती जीत॥
मिलती जग में जिसे सफलता,
वह पाता सम्मान।
वह समाज का प्रेरक बनकर,
सबका खींचे ध्यान।
फिर तो उसके आगे-पीछे,
मड़राते हैं लोग।
तरह-तरह के लाभ उठाते,
मिलते ही संयोग।
यशोगान करने लगते हैं,
बजा मधुर संगीत।
हो प्रचण्ड पौरुष बल जिसका,
उसकी होती जीत॥
पहले खुद को योग्य बनाओ,
खूब करो अभ्यास।
नहीं स्वावलंबी करता है,
कभी किसी से आस।
अपने से ही बना सको जब,
उपयोगी परिवेश।
कीर्ति अमर कर जाओगे तुम,
पूजेगा तब देश।
सदा बाँटते रहना है फिर,
ज्ञान-सुधा नवनीत।
हो प्रचण्ड पौरुष बल जिसका,
उसकी होती जीत॥