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प्रकाश मनु कौन है? / प्रकाश मनु

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प्रकाश मनु कौन है
कौन है प्रकाश मनु
वे बोले
जब मैं बोलकर उतरा मंच से।
वे थे कई
चेहरे पत्थर आंखें काई
वे थे सहज सुखासीन
मन्द-मन्द हंसते फुरफुराते

जब मैं गया वहां तो वे हंसे
फिर कसकर लीं उबासियां
फिर खोलकर पानदान-
बीड़े उठाए
एक-दूसरे की सेहत के लिए चबाए
पीले दांतों-हैं...हैं...हैं... (हिनहिनाए!)
मैंने खोला मुंह तो
तमतमाकर निकले कई असुविधाजनक सच
मैंने कहा कि यह गलत है जो हो रहा है
मैंने कहा मैंने देखे हैं बड़े-बड़े छेद
जो हैं देश के विमान और मोटर गाड़ियों में
मैंने कहा कि है-है इंजन फुंका हुआ
कि जैसे फटा हुआ दिल हिन्दुस्तान का
तो वे हंसे-हंसे तालियां मार-मारकर
फिर करवटें बदलीं सुथन्ने उठाए
हाथों की अश्लील मुद्राओं के बीच
हंसे भदभद गदगद भदर भदर भदर...

अब मैं समझा कि दुःशासन क्या है
दुःशासन क्यों है
क्यों हर बार पादता है वह आम आदमी के शीश पर
और फिर किसी भी द्रोपदी की साड़ी पकड़कर लटक जाता है
तुम कहां तक जज्ब करोगे?

अब कुछ आखिरी क्षण बचे थे।
और सिर्फ आखिरी दांव...
मैंने वही किया जो मरता करता है
शब्दों को चीमटे की तरह झटका
मूसल की तरह ताना
होंठों के बीच चिंथी जहरी नागफनियां

अब के जो बोला तो वे बेचैन हो आए
बेचैनी-पत्थर पर छूटी एक बारीक लकीर!
...और वे सारे के सारे चेहरे लहूलुहान...

वे थे सख्त अफसोस में वे थे हक्के-बक्के
कुछ कहते थे चमडू उचक्के
इससे पहले मैं उतर गया
लोगों के बीच लोगों के साथ लोगों की भीड़ में!
मैं उतरा तो उन्होंने देखा/एक-दूसरे को
मुंदी आंखों,
खुले जबड़ों से-
कौन है यह प्रकाश मनु/प्रकाश मनु कौन है
क्यों घूम रहा है यह छुट्टा
आखिर सोच क्या रखा है सरकार ने?
फिर सोचकर कहा कि छोड़ो!
अपने प्रिय प्रधानमन्त्री से कहंगे-
हर संकट की तरह
देश का यह संकट मिटाकर रहेंगे!!