सपना ही रह गया
कि फंदा पहनायेंगे
बुरे शरीफज़ादों को
वे लकीरें निकालेंगे नाक के साथ
हिसाब देंगे लोगों के आगे।
प्रतिक्रांति के पैर
हमारी छातियों पर आ टिके
ज़लील होना ही हमारा
जैसे एकमात्र
पड़ाव रह गया।
सपना ही रह गया
कि फंदा पहनायेंगे
बुरे शरीफज़ादों को
वे लकीरें निकालेंगे नाक के साथ
हिसाब देंगे लोगों के आगे।
प्रतिक्रांति के पैर
हमारी छातियों पर आ टिके
ज़लील होना ही हमारा
जैसे एकमात्र
पड़ाव रह गया।