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प्रतीक्षा / अशोक वाजपेयी
Kavita Kosh से
प्रतीक्षा धूप में चिड़ियों का स्पन्दन है,
हरी पत्तियों का नीरव उजला गान है,
प्रतीक्षा
दरवाज़े पर दस्तक के अनसुने रहने पर
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