भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रेम टाईमपास नै छेकै / अशोक शुभदर्शी
Kavita Kosh से
प्रेम टाईमपास नै छेकै
जेनां कि
झरना
जेनां कि
लहरोॅ केॅ उठना-गिरना
जेनां कि
किसान के खेतोॅ पर जाना
जेनां कि
चहचहाना चिड़िया के
जेनां कि
शामिल होना युद्ध में
सिपाही के
एकरै में सेॅ कोनोॅ एक
जे नाटकीय नै छै
एकदम्मे
सच छै
प्रेम होय छै ।