प्रेम में झूमों तुम ऐसे / रमा द्विवेदी
प्रेम पाना चाहते गर 
गुनगुनाना सीख लो। 
प्रेम में झूमो तुम ऐसे 
लहलहाना सीख लो॥  
प्रेमी-मन को जब नहीं तुम 
जानते-पहचानते, 
झूठे अहं को त्याग दो, 
सच को अपनाना सीख लो.. 
प्रेम में झूमो तुम ऐसे 
लहलहाना सीख लो॥  
प्रेम भी इक गीत है, 
तुम इसको गाना सीख लो, 
प्रेमी तुम्हें मिल जाएगा बस 
तुम बुलाना सीख लो...  
प्रेम में झूमो तुम ऐसे 
लहलहाना सीख लो॥  
गीत लिखना चाहते गर 
ग़म उठाना सीख लो, 
गीत तो लिख जाएगा, 
दिल को तपाना सीख लो... 
प्रेम में झूमो तुम ऐसे 
लहलहाना सीख लो॥  
सोचकर जो लिक्खा जाए, 
गीत कहलाता न वो, 
हृदतंत्री को झन्क्रित जो कर दे  
ऐसा गीत लिखना सीख लो... 
प्रेम में झूमो तुम ऐसे 
लहलहाना सीख लो॥  
प्रेम इक अहसास है, 
फूलों में खुशबू की तरह, 
शर्त है कि फूलों जैसे 
खिलखिलाना सीख लो.. 
प्रेम में झूमो तुम ऐसे 
लहलहाना सीख लो॥  
प्रेम अरु प्रेमी में जब 
अन्तर नज़र आता नहीं, 
प्रेम में खुद को मिटाना 
यह अदा  भी सीख लो... 
प्रेम में झूमो तुम ऐसे 
लहलहाना सीख लो॥  
प्रेम की मादकता को, 
ऐसे न तुम सह पाओगे, 
लहरों सा उठना-मचलना, 
यह कला भी सीख लो... 
प्रेम में झूमो तुम ऐसे 
लहलहाना सीख लो॥
	
	