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फकत हूँ देखता पीता कहाँ हूँ / देवी नांगरानी
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फकत हूँ देखता पीता कहाँ हूँ
चलन सीखा अभी उसका कहाँ हूँ
लड़ाई आज तक जारी है उससे
अभी तक मौत से जीता कहाँ हूँ
कहीं कुछ लड़खड़ाहट है ज़रा-सी
न थामो मुझको, मैं गिरता कहाँ हूँ
करे गुमराह, हूँ वो रास्ता मैं
बहुत पुरपेच हूँ सीधा कहाँ हूँ
सुना करता हूँ लोगों से हमेशा
मैं अब तक होश में आया कहाँ हूँ
गलतफहमी हुई है उनको ‘देवी’
है वो तो राम, मैं सीता कहाँ हूँ