भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
फ़ैसले जिंदगी के अटल हो गये / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
फैसले जिंदगी के अटल हो गये
साथ पा कर तुम्हारा सफल हो गये
साँवरे जो झलक सी तुम्हारी मिली
मन सुखी नैन दोनों सजल हो गये
राह विस्तार पाती रही सत्य की
अनुकरण जो करें वे विरल हो गये
आशियाँ मिट गये लुट गया कारवाँ
हौसले शत्रुओं के प्रबल हो गये
प्यार तो नित्य अमृत कहाता मगर
बिंदु सब प्यार के क्यों गरल हो गये
जब उठाया कदम एक था राह पर
जिंदगी की वो मेरी पहल हो गये
छत रहे शीश पर झोंपड़े ही सही
वो गरीबों की खातिर महल हो गये