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फिरै सोधती / ओम पुरोहित कागद
Kavita Kosh से
पाणी
जिनगाणी
मुरधर ताणी
पण
सूना बादळ
आडावळ लारै
करै किलोळां
बायरै भेळी
रेत कळपती
फिरै सोधती
आखै दिन
फिरै भटकती
सिंझ्या हारी थकी
आय पोढै
निज सूनी सेज।