चिड़ियाँ चहकें
तरु झुक जायें
फिर ऐसे मौसम आयें
उपवन-उपवन
फूल खिले हों
चंदन लिपटीं चलें हवायें
सूरज लिए
उजाला आये
ज्योति भरी हो सभी दिशायें
हिल मिल कर सब
बोझ उठायें
फिर ऐसे मौसम आयें
सुबह-सुबह ही
सारे बच्चे
अपने पाठों को दुहरायें
पर्वत वाली
नदी सयानी
लहर-लहर हँसती लहराये
सब जन मिलकर
हाथ बढ़ायें
फिर ऐसे मौसम आयें
सबके होठों
पर मुस्काने
बाढ़ नहीं हो और न सूखा
सभी सुकर्मों
के आदी हों
रहे न कोई प्यासा-भूखा
बडे प्यार से
गले लगायें
फिर ऐसे मौसम आयें