भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फिर कोई कृष्ण सा ग्वाला हो / राजेश चड्ढा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

  
फिर कोई कृष्ण सा ग्वाला हो,
फिर मीराँ फिर प्याला हो ।

फिर चिड़िया कोई खेत चुगे,
फिर नानक रखवाला हो ।

फिर सधे पाँव कोई घर छोड़ें,
फिर रस्ता गौतम वाला हो ।

फिर मरियम की कोख भरे,
फिर सूली चढ़ने वाला हो ।

हम घर छोड़ें या फूँक भी दें,
जब साथ कबीरा वाला हो ।