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फिर वो भूली-सी याद आई / शैलेन्द्र

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कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीमकश को
वो ख़लिश कहाँ से उठती जो जिगर के पार होता

फिर वो भूली-सी याद आई है - २
ऐ ग़म-ए-दिल तेरी दुहाई है
फिर वो भूली-सी ...

बात इतनी-सी है कहानी में - २
हम भी मारे गए जवानी में - २
आग सीने में खुद लगाई है
ऐ ग़म-ए-दिल तेरी ...

आँख में बूँद भर जो पानी है - २
प्यार की इक यही निशानी है - २
रोते बीती है जो बिताई है
ऐ ग़म-ए-दिल तेरी ...

(फ़िल्म ’बेगाना’ (1963) के लिए)