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फुटतै मुस्कान हो / ब्रह्मदेव कुमार

Kavita Kosh से
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फुटतै किरिणियाँ कैह्या, लैकेॅ मुस्कान हो।
धन्य होइतै धरती मैया, पुलकित प्राण हो॥

अंग प्रदेश के क्षेत्र, संताल परगना
जेकरोॅ मातृभाषा अंगिका, भेलै बेगाना।
अंगिका भाषी केरोॅ, कलपै छै प्राण हो
केना केॅ होठवा पेॅ, फुटतै मुस्कान हो॥
राज्यभाषा रोॅ सूची मेॅ, नै छै अंगिका
शिक्षा केरोॅ पाठ्यक्रम मेॅ, कहाँ छै अंगिका।

अंगवासी अंगिकाभाषी, छै मनझमान हो
केना केॅ होठवा पेॅ, फुटतै मुस्कान हो॥

केकरा सुनैबै-बुझैबै, आपनों लाचारी
कैह्नें ई दुरंगोॅ नीति, बोलोॅ विचारी।
आपनें जमीनोॅ पेॅ, छियै अनजान हो
केना केॅ होठवा पेॅ, फुटतै मुस्कान हो॥
कैह्या सुदर्शन लैकेॅ, ऐतै दुखहारी
कौनी राम-कृष्ण अवतारी, ऐतै देतै तारी।

कैह्या गुलामी के बंधन, टुटतै मिलतै त्राण हो
केना केॅ होठवा पेॅ, फुटतै मुस्कान हो॥
अचरा उठाय केॅ मैयां, करै छै अरजिया
आश-अरमान पुरतै, बोलोॅ-बोलोॅ कहिया।
न्याय मिलतै अंगिका केॅ, घुरतै हमरोॅ जान हो
तभिये हमरोॅ होठवा पेॅ, फुटतै मुस्कान हो॥