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फुटपाथी जीवन / गौतम-तिरिया / मुचकुन्द शर्मा

झिंग्गा के झोर साथ मङुआ के रोटी,
हरखू के डाँड़ा में सब दिन लंगोटी,
जाड़ा मंे ठिठुरे हे, गर्मी में पसरे हे
फुटपाथी जीवन
फटल पुराना गुदड़ी बिछावे हे
फुटपाथ पर भीख मांगे ले आवे हे
अनाम मेहरारू, बचपन से आन्हर
बाढ़ प्लेटफार्म पर अल्मुनिया के कटोरा साथ
दाता के पुकारे हे,
मिले या नय मिले तैयो नय हारे हे
काम जोर मारलक कोय भिखारी से
फुट्टल नयन जुड़ावे हे
गोदी में सुन्नर लाल पावे हे
ओकरो भिखारी बनाको साथे डोरियावे हे
ट्रेन के भीड़ में दाता के जयकार
खूब बढ़िया गावे हे
मैच-कुचैल फटल-पुरान साड़ी
प्लेटफार्म ओकर जीवन
न घर न दुआर, न झोपड़ी अन्हार
राम के भरोसे जीना
पूरे जीवन दुख के पीना।