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फूल / अशोक शुभदर्शी
Kavita Kosh से
फूल खिललै
हवा नै चललोॅ छेलै
फूल फेरू खिलतै
हवा चलै या नै चलै
वें भरी देतै
हवा केॅ आँचल भी
अपनोॅ सुगंधोॅ सें
हवा चलै या नै चलै
ओकरा पक्षोॅ में।