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फूल के करीब जाइए / मोहन आलोक
Kavita Kosh से
फूल के करीब जाइए
और उससे
अपने मन की बात कहिए
जबाब आने की प्रतीक्षा कीजिए
कुछ देर को
उसके पास बैठे रहिए ।
वह अपनी
मिल-बतियाने की भूख को
निश्चय ही शांत करेगा
बहलाएगा आपका मन
आपसे बात करेगा ।
एक बार कभी
आप उसकी बात सुनकर तो द्रेखें
उसके चतुर्दिक मंडराते मौन को
गुनकर तो देखें ।
हो सकता है
शुरू-शुरू में आपको लगे
आप बेवकूफ बन रहें हैं !
तब भी आप
एक बार यों बेवकूफ बनकर तो देखें ।
अनुवाद : नीरज दइया