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फूल सारे महकने लगे / रंजना वर्मा

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फूल सारे महकने लगे
मुक्त पंछी चहकने लगे

है बसंती हवा यों बही
पाँव सब के बहकने लगे

याद की यूँ घटायें घिरीं
अश्रु दृग में चमकने लगे

छू गयी बूँद मद से भरी
घाव दिल के दहकने लगे

भावनाएँ मचलने लगीं
दिल के अरमाँ लहकने लगे

सब सुमन धो दिये ओस ने
उन के मुखड़े दमकने लगे

सत्य को आज फाँसी लगी
झूठ फिर लोग बकने लगे