फेरों-कन्यादान का गीत / 11 / राजस्थानी
देवी-देवता धोकने जाने का गीत
हां जी बालाजी साहिब कुण चुणायो थांको देवरो।
हां जी बालाजी साहिब कुण लगाई गज नींव।
धवजा धारी बंगलो चुणायो जा जा लूंगा को।
हां जी बालाजी साहिब राजाजी चुणायो थांको देवरो।
हां जी बालाजी साहिब प्रजा लगाई गज नींव।
धवजा धारी बंगलो चुणायो जा जा लूंगा को।
हां जी बालाजी साहिब के लख आवे थांके जातरी जी।
हां जी बालाजी साहिब के लख आवे थांके बालूड़ा री माय।
ध्वजा धारी बंगलो चुणायो जा जा लूंगा को।
हां जी बालाजी साहिब नौ लख आवे थांके जातरी।
हां जी बालाजी साहिब दस लख बालुड़ा री मांय।
ध्वजा धारी बंगलो चुणायो जा जा लूंगा को।
हां जी बालाजी साहिब कांई तो मांगे थांके जातरी जी।
हां जी बालाजी साहिब कांई तो मांगे बालूड़ा री माय।
ध्वजा धारी बंगलो चुणायो जा जा लूंगा को।
हां जी बालाजी साहिब बेटा तो मांगे थांके जातरीं
हां जी बालाजी अन्न धन मांगे बालुड़ा री माय।
हां जी बालाजी साहिब नारेला चढ़ावे थांके जातरी।
हां जी बालाजी साहिब छत्तर चढ़ावे थांके जातरी।
ध्वजा धारी बंगलो चुणायो जा जा लूंगा को।