बगुला / मन्त्रेश्वर झा
पोखरिक चारू महार पर जुटल अछि लोक
आ पोखरिक बीचमे ध्यान मग्न
भगत बनबाक तपस्यामे रत अछि
पूर्व जन्मक पुण्यसँ दपदप उज्जर देह
आ कि एड़ी सँ टिकासन तक
पहिरने हो दप दप धुआओल इस्तरी
कयल धोती-कुर्ता
हमरा गामक पोखरिक शोभ छी बगुला
एकरा भगायब तऽ हैत बड़ अनिष्ट
बिगड़ि जैत पर्यावरण
के करत अरजल प्रजातंत्रक रक्षा
निशंक भऽ जायत माछ
आहत भऽ जायत पूर्वजक धरोहरि
सभ न्यायक न्याय, मत्स्य न्याय
बिगड़ि जेतै सनातन धर्म
हमरा गामक पोखरिमे अबैत
रहैत अछि बगुला
पुबारी कातसँ अबैत अछि एक
पछवारी कात सँ अबैत अछि दोसर
उत्तर सँ, दच्छिनसँ तेसर चारिम
सभसँ पैघ गरदनि बला ई हमर
टोलक बगुला छी, क्यो बाजल
अरे देखू, हमर बगुला पकड़लक
एकटा बड़का पोठी
वाह रे हमर बगुला
बाजल क्यो दोसर
बजरि गेल चारू महार पर
मारि पीटि, थुक्कम फज्झैता
हमर बगुला पैघ
अहाँक बगुला कुरेड़
होइत रहल बतकुटौवलि
रोमैत रहल चारू महार परक लोक
काँव-काँव करैत कौआ के।
अपन खोंता मे डेरायल रहल
गुटरगूँ करैत परबा
अपन ताल मे नचैत रहल मैना
ध्यान मग्न तपस्या रत
गनैत रहल बगुला
अपन अपन स्कोर
अदिल बदलि करैत रहल
जाठि पर कब्जा
चढ़ैत रहल उतरैत रहल सिंहासन
महार परक लोक बनबैत रहल
करैत रहल अपने अपन तमासा
गुटरगूँ करैत कखनो नचैत परबा
फुदकैत, अगराइत कखनो कोनो मैना
जा धरि भगबैत रहत कौआ
महार परहक लोक
देखैत रहत, करैत रहत
बगुला बगुला मे गुटबाजी एहिना
होइत रहत बगुलाक तमासा
ता घरि रहबे करत बगुला राज
अबैत रहत, जाइत रहत
बदलि बदलि बगुला।