भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बन्दर की गुलाटी / अरविंदसिंह नेकितसिंह
Kavita Kosh से
राम ने रावण को मारा सभी को पता चला था
बधाइयाँ बजी थीं
दीवालियाँ मनाई गई थीं आज भी मनाई जाती हैं लेकिन...
दीवाली की झिलमिलाती रोशनी
या बड़े बड़े बनावटी समारोहों के
चुन्धियाने वाले बल्बों की चकाचौन्ध में
भाषणों में अभिव्यक्त झूठ में
अखबारों की सूर्खियों में
यह सत्य दिख गया
कि हम सभी से बोला गया था
बहुत बड़ा झूठ
राम ने रावण को नहीं मारा...
उसे अमरत्व दे दिया...
आज भी राज है उसी का
और रावण के राज्य में
आज मैं,
राम की सेना का अदना सा बन्दर,
रावण के डमरू की तान पर
गुलाटी मारना सीख रहा हूँ
सीख जाऊँगा...