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बरखा बहार बादल / प्रेमलता त्रिपाठी

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सुनो धरा की पुकार बादल ।
किसान का हित विचार बादल ।।

नयन निहारे पलक बिछाये ।
मयंक पहले उतार बादल ।

न चाँदनी का पता कहीं है,
न चैन आये करार बादल ।

विहाग गाता चला पथिक जो,
विहग बसेरा सँवार बादल ।

लगे अमावस घिरा सकल हो,
बिखेर तारे हजार बादल ।

सुमन सरोवर सुहास देना,
सप्रेम बरखा बहार बादल ।