भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बरत्यां ठाह पड़ैं / मदन गोपाल लढ़ा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भग्गू वाळो कुओ
भगत सिंघ चौक
पुराणो बजार
लेण पार
नांव कोनी फगत
जागावां रा
ओळखांण करावै
जींवतै सहर री सांवठी संस्कृति री।

बियां बतावणै नैं कीं कोनी
थर्मल, फार्म अर छावनी टाळ'र
खास अर न्यारो-निकेवळो
जिण माथै गीरबो करीज सकै
का किणी बटाऊ नैं
घुमावणै सारू लेय'र जाय सकां
पण बरत्यां पड़ै ठाह
आं छोटा घरां में
रैवणियां रै
मोटै काळजां रो।