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बरसा दुलहिन / गौतम-तिरिया / मुचकुन्द शर्मा

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बादल के पालकी पर वर्षा दुलहिन सबार हेऽ
दुलकल चाल में चलल पुरबा कहार हेऽ

मेंढ़क के ढोल बजल
बगुला बरात सजल
लाल घोड़ा सुरूज के
दुलहा हे पुरूब के

एकर माँग भरे ले सुरूज दुलहा तैयार हेऽ
उमड़ल बराती सब बदरा कार-कार हेऽ

कोयल सब गान देलक
मोर पंख तान देलक
इन्द्रधनुष शान लेलक
सागर हें दान लेलक

उमड़ रहल नदिया में दुलहिन के देखे ले धार हेऽ
सजल पेड़ पौधा सब धुलल हजार हेऽ

गलीकूची कीच-कीच
धार बहल बीच-बीच
शहरो मंे धुलल पीच
धोबी सब रहल फीच

खेत खलिहान में ई बरसल आर पार हेऽ
कानल दुलहिनियाँ ई लोर रहल ढार हेऽ