देखता है
इन बहारों की खुशबू का
क्तिने दिनों तक
रहता है, असर।
कितने लोग
आज के उन्माद को
अपनी
आने वाली
पीढ़ियों के लिये
विरासत में
एक अनमोल मोती समझ
छोड़ जाते हैं
आने वाले
वक्त के लिये।
इतना ही नहीं
देखा है
बर्लिन की दीवार
ढ़हने से
जो बना है
गुलिश्तान
अपने फूलों के बीच
कहां-कहां तक
फैला सकेगा
ताकि
अहं के नशे की
खेती करने वाले
कांटों की जगह
करें व्यापार
गुलाब के फूलों का।