बर्वरीक केरोॅ वध / सुरेन्द्र प्रसाद यादव
बर्बरीक घटोत्कच रोॅ सपूत छेलै, भीमसेन रोॅ दुलारोॅ पोता छेलै
घटोत्कच शस्त्रा-अस्त्रा ज्ञान सेॅ, परास्त करी देनें छेलै ।
मौर्वी सेॅ विवाह रचैनें छेलै
मौर्वी रोॅ पुत्रा बड़ा वीर लड़ाकू निकललै ।
दादा केॅ साधारण युद्ध कौशल मेॅ हराय देनेॅ छेलै
वनवासोॅ रोॅ तेरह बरस बीती रहलोॅ छेलै ।
सब्भेॅ पाण्डव उपप्लव वनोॅ मेॅ एकत्रित होय रहलोॅ छेलै
वहाँ सेॅ चली केॅ पाण्डव कुरुक्षेत्रा ऐलै ।
हौ जगह कौरव-पाण्डव उपस्थित होलोॅ छेलै
भीष्म जी नेॅ दोनोॅ रथियोॅ अतिरथियों रोॅ गणना करलकै ।
युधिष्ठिर केॅ सब सामाचार गुप्तचरोॅ द्वारा मिललै
श्रीकृष्ण सें कहलकै, केशव ।
दुर्योधन रोॅ कौनो वीर कत्तेॅ समय में पाण्डव
सेना सहित केरोॅ वध करै पारे छोॅ ।
दुर्योधन केरोॅ प्रश्नोॅ रोॅ जबाब देलकै
पितामह कृपाचार्य नेॅ संकेत देलकै ।
एक महिना केरोॅ अन्दर मेॅ
पाण्डव सेना केॅ समाप्त करै पारै छी ।
द्रोणाचार्य नेॅ कहलकै पन्द्रह दिनोॅ मेॅ
अश्वाथामा नें दस दिनोॅ मेॅ ।
कर्ण नेॅ कहलकै, छः दिनोॅ मेॅ
पूरे पाण्डव सेना केॅ समाप्त करै लेॅ व्रत लै लेलकै ।
युधिष्ठिर नेॅ देवकीनन्दन सेॅ जोरदार प्रश्न करलकै
हमरा पक्षोॅ मेॅ कौन योद्धा येन्होॅ छै ।
है विषय वस्तु पर उचित प्रतिक्रिया दियेॅ पारै छै
अर्जुन बोललै ! महाराज ।
भीष्म आरोॅ अन्य महारथियोॅ केरोॅ है घोषणा सरासर असंगत छै
हमरा पक्षोॅ मेॅ दुर्धष योद्धा काल केरोॅ समान अजेय छै ।
सात्यकि, भीमसेन, प्रपद, घटोत्कच विराट, धृष्टद्युम आदि
आपनोॅ पक्षोॅ मेॅ अजय श्रीकृष्ण छै ।
है सब वीरें पूरे कौरव सेना केॅ
पलभर - नेश्तनाबूत करै पारै छै ।
अर्जुन नेॅ भीष्म प्रतिज्ञा करलकै
बर्बरीक नेॅ कहलकै..... ।
महात्मा अर्जुन आपनें रोॅ प्रतिज्ञा
हमरा असह्ाय लागै छै ।
बर्बरीक बोललैµअर्जुन श्रीकृष्ण
आपनें सब खड़ा-खड़ा होय केॅ ।
हम्में पल भरी मेॅ सब्भेॅ कौरव सेना केॅ
यमलोक रोॅ द्वार देखाय देवै ।
सिद्धाम्बिका रोॅ देलोॅ खड्ग दिव्य धनुष बाणोॅ रोॅ
कृत्य अति सरल छै ।
बर्बरीक रोॅ वाणी सुनी केॅ, क्षत्रिय सब्भे आंदोलित होय गेलै
अर्जुन लज्जित महसूस करलकै, श्रीकृष्ण केॅ अवलोकन नै करलकै ।
भगवान बोललै-पार्थ, बर्बरीक आपनोॅ सही शक्ति रोॅ
परिचय दै मेॅ कोय कसर नै राखनें छै
अद्भुत् बात हिनकोॅ बारे मेॅ, सब्भै आदमी बोलै छै
हिनी पाताल लोकोॅ मेॅ नौ करोड़ दैत्योॅ केॅ ।
पल भरोॅ मेॅ मौत रोॅ घाट उतारी देनेॅ छै
वासुदेव नेॅ बर्बरीक सेॅ कहलकै ।
वत्स भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य, कर्ण सुरक्षित सेना केॅ
पल भरोॅ मेॅ केना केॅ मारभोॅ ।
है सब्भै पर विजय पाना, शिवजी केॅ दुस्कर पडे़ पारे छौ
तोरोॅ पास कोन उपाय छौं, छोटोॅ मुँह बड़ोॅ बात करे छौ ।
केना तोरा पर विश्वास करभौं
तबेॅ बालक बर्बरीक केरोॅ मुखोॅ सें वाणी सुनलकै ।
बर्बरीक गुस्सा सेॅ आग बबूला होय गेलै
बाणोॅ केॅ लाल रंगोॅ रोॅ भस्मोॅ सेॅ ढकी देलकै ।
कान तक बाणोॅ केॅ खींची लेलकै, आरोॅ छोड़ी देलकै
बाणोॅ केरोॅ मुखोॅ सेॅ भस्म उड़लै ।
दोनोॅ सेना रोॅ मर्मस्थल पर गिराय देलकै
पाँच पाण्डव, कृपाचार्य, अश्वथामा ।
ये सब्भै केरोॅ तनोॅ रोॅ स्पर्श नै होलै, बर्बरीक बोललैµअवलोकन करलियै।
मरै वाला वीरोॅ रोॅ मर्मस्थल रोॅ, तुरंत-फुरंत मुआयना करी लेलियै ।
बस ! दू पल मेॅ मारी केॅ गिरा दै मेॅ सक्षम छियै
है देखी केॅ युधिष्ठिर केॅ आश्चर्य लागी गेलै ।
लाचार होय केॅ धन्य ! धन्य ! कहै लागलै
विचित्रा कोलाहल छाय गेलै ।
श्रीकृष्ण नै आव देखलकै नेॅ ताव देखलकै, तीक्ष्ण बाणोॅ सेॅ
बर्बरीक रोॅ मस्तक पृथ्वी पर गिराय देलकै ।
भीम घटोत्कच केॅ बड़ा सदमा होलै
तत्क्षण सिद्धाम्बिक केरोॅ देवियाँ पहुँची गेलै ।
हौ बोललै, श्रीकृष्ण रोॅ अपराध नै छै
बर्बरीक पूर्वजन्म मेॅ सूर्यवर्चा पक्ष छेलै ।
पृथ्वी भारोॅ सेॅ घबराय गेलोॅ छेलै
मेरु पहाड़ोॅ पर देवता रोॅ सामना ।
आपनोॅ दुखड़ा सुनी रहलोॅ छेलै
है पर वें कहिनें छेलै ।
हम्में अकेले अवतार लै केॅ दैत्य समूह रोॅ संहार करी देवै
हमरा अछैतै, कोय देवता पृथ्वी पर अवतरित होलेॅ जरूरत नै पड़तै
हेकरा बोली पर ! ब्रह्मा जी जाज्वल्यवान होय गेलोॅ छेलै,
आरोॅ कहलकैµदुर्मते! तोहें मोह बस। अहमं सेॅ दुस्साहस करी रहलोॅ छौं।
जबेॅ पृथ्वी पर नाश रोॅ युद्ध होवै लागतै
वही समय मेॅ कृष्णोॅ रोॅ हाथोॅ सेॅ तोरा मरै लेॅ पड़तौं ।
तत्काल श्रीकृष्णे नेॅ चण्डिका सेॅ कहलकै
हेकरोॅ सिरोॅ केॅ अमृत सेॅ सींची केॅ
राहु के तरह अजर-अमर करी दोहोॅ
देवी नेॅ आदेश के पालन करलकै ।
जीवित रहै रोॅ आर्शीवाद देलकै
मधुसूदन केॅ प्रणाम करलकै ।
आबेॅ हम्में महाभारत युद्ध रोॅ
अवलोकन करे मेॅ सामथ्र्य होवै ।
मस्तक पहाड़ोॅ रोॅ शिखर पर राखी देलकै
जबेॅ युद्ध समाप्त होय गेलै ।
आपनोॅ-आपनोॅ बखान करै लागलै ।
पाण्डव पक्षोॅ रोॅ योद्धा केॅ गर्व होय गेलोॅ छेलै।
सब्भे नेॅ आपनें बढ़ाय प्रशंसा रोॅ पुल बाँधै लागलै ।
वादोॅ मेॅ सब्भै नेॅ निर्णय करलकै
बर्बरीक नेॅ कहलकै ।
हम्में तेॅ खाली एक्के आदमी केॅ युद्ध मेॅ लड़तेॅ देखलियै
है आदमी केॅ बायाँ बगल पाँच मुख, आरोॅ दस हाथ छेलै ।
हाथोॅ मेॅ त्रिशूल, आयुद्य संभालनें छेलै
दाहिना बगल होकरा एक मुख आरो चार भुजा छेलै ।
चक्र, शस्त्रोॅ सेॅ सुसज्जित छेलै
बायाँ तरफ मस्तक जटा सेॅ शोभायमान छेलै ।
दाहिना बगल मस्तक पर मुकुट जगमगाय रहलोॅ छेलै
बायाँ बगल भस्म लागलोॅ छेलै ।
दाहिना बगल चंदन लेपलोॅ छेलै
बायाँ बगल चन्द्रकला चमकी रहलोॅ छेलै ।
दाहिना बगल कौस्तुक मणि झलमलाय रहलोॅ छेलै
हुनके रुद्र-विष्णु रूपें कौरव सेना केॅ समूल नष्ट करी रहलोॅ छै।
आरोॅ हम्में केकरोॅ संहार करते दोसरा केॅ नैं देखनें छियै
आकाश मंडल उद्भासित होय गेलै आरो पुष्प वृष्टि होवेॅ लागलै ।
साधु-साधु रोॅ ध्वनि सें अच्छादित होय गेलै
ई सुनी, केॅ पाण्डव सब आपनोॅ
फिजूल गर्व पर अधिक लज्जित होलै।