भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बस्ता / शेरजंग गर्ग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रंग-बिरंगा बस्ता है,
बस्ता तो गुलदस्ता है।

इसमें रखी हुई किताब,
इसमें हँसते लाल गुलाब।

चलो सभी को बाँटें फूल,
फिर पहुँचें झटपट स्कूल।